सबकुछ-प्यार से
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हम कहते है , प्यार तो दिल से होता है
फिर क्यों नहीं ये एक भिकारी से नहीं होता .
हमेसा खुद से बेहतर से ही प्यार क्यों होता है
ये सब प्यार नहीं बस एक आकर्षण है .
जब प्यार हासिल नहीं होता तो क्यों रोते हो
खुदा को भी पता है तुम भी इतने प्यारे नहीं हो.
मेरा प्यार सच्चा है गर वो तुम्हारी हां का मोहताज नहीं
इतनी हसीन यादे है जन्नत की तमन्ना भी नहीं अब.
कहाँ कहाँ खोजते हो इसे जुल्फों में आँखों में ओठो में
ये तो हर जगह है जहाँ भी कोई तुम्हारा फिकरमंद है.
भूपेंद्र सिंह नेगी
साहिबाबाद , गाज़ियाबाद
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