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दिव्ये नयन

सबकुछ-प्यार से
सबकुछ-प्यार से
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दिव्ये नयन तुम्हारे निहारते

हमें लगते है किसी

दिव्ये अस्त्र से , या तो हम

घायल हो जाये या

दीवानों जेसे   फिरे   यहाँ से वंहा

बाते तेरी अच्छा और हां

से आगे नहीं गयी ,

हमेसा एक भ्रम सा छोड़ गयी

लगता था इस पिजरे तो तोड़

तेरे पास आये , फिर तुने ही समझया

जिंदगी धुप और तुम घना साया

जिसकी छाहो लखनऊ से दिल्ही

और कश्मीर से कन्या कुमारी

हर तरफ बस तेरे दिव्ये नयनो का

राज है चाहे तु दूर है के पास

अलोकिक सी शाक्ति है तेरे प्यार में

जो बांधे रखती है हमें हर हाल में

गुजारिश है खुदा से बस इतनी सी

पलकों में रखे हमें हर मौस्मेहाल में

ये लाइन दिव्या जी के लिए जिनकी प्रेरणा से मुझे कुछ लिखना आया, धन्यवाद

भूपेंद्र सिंह नेगी
साहिबाबाद , गाज़ियाबाद

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