Menu
blogid : 7956 postid : 120

रिश्तो का मूल्यांकन

सबकुछ-प्यार से
सबकुछ-प्यार से
  • 32 Posts
  • 33 Comments

रिश्तो का मूल्यांकन करना इस दुनिया का सबसे कठिन काम है एक बार तो दिल भी बैठ जाता है पर क्या करे शहरी जिंदगी ही कुछ ऐसी है की न चाहते हुए भी हमको ये सब करना पड़ता है. हर आम आदमी को आज-कल एक कशमकश है की इतनी कम बचत में हम रिश्ते केसे निभाए . रिश्तो को पैसों से नहीं तोला जा सकता है , पर परिस्तिथियो की मजबूरी है की ऐसा हमें करना पड़ता है . आज के समय ज्यादातर लोग अपनी सेलरी का सिर्फ 10% ही बचा पाते है . अब ये ही 10% सेविंग हमारे सारे रिश्ते निभाएगी , इसको हम 1000 रुपये मान लेते है . सबसे पहले तो इसका 50 % आप अपने अकस्मात खर्चो के लिए निकाल दीजिये , कही ऐसा न हो रिश्ते निभाते निभाते आप खुद मांगने की स्तिथि में आ जाये . इन 500 में आपको अपने माँ -बाप की मेडिसिने और बच्चो के शौक भी पुरे करने है . अब आपके पास ले देकर सिर्फ 500 रुपये बचे है . सबसे नजदीकी रिश्तेदार आपके भाई-बहिन होते है सो 150 उनके बनते है . अब आपका सुसराल (आज कल सबसे हॉट रिश्ता ) वहां के लिए 100 से कम में काम नहीं चलेगा. आपके नजदीकी रिश्तेदार , (चाचा-चाची, मामा -मामी , बुआ -मौसी ) उनके लिए भी कुल मिलाकर 150 तो चाहिए ही क्योकि उनकी संख्या भी ज्यादा होगी. मुसीबत में सबसे पहले काम आने वाले होते है आपके पडोसी उनके लिए आपको कम से कम 50 तो रखने ही पड़ेगे . दोस्ती में पैसा तो नहीं देखा जाता पर क्या करे यार आपके लिए बस 50 ही बचे , चलो दोस्त तो वेसे भी खुश रहते है . अब आपके खुद के लिए क्या बचा इसका जवाब तो मेरे पास भी नहीं है खेर अभी तो आप सिर्फ रिश्ते निभाइए और खुशिया बाँटिये .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply